The Kargil War, fought between India and Pakistan from May to July 1999, was a significant military conflict centered around the Kargil district of Jammu and Kashmir, resulting from the infiltration of Pakistani troops into Indian territory.
पृष्ठभूमि
कारगिल युद्ध, भारत और पाकिस्तान के बीच मई-जुलाई 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया। यह युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच चौथा सैन्य टकराव था और इसका मुख्य कारण पाकिस्तानी सेना और समर्थित आतंकवादियों द्वारा नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करना था। यह युद्ध 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद और 1999 में दोनों देशों के बीच लाहौर शिखर सम्मेलन के बाद हुआ, जब शांति की उम्मीदें बढ़ रही थीं।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन बद्र शुरू किया, जिसका उद्देश्य कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर श्रीनगर-लेह राजमार्ग (NH-1) को काटना, भारत की सैन्य आपूर्ति को बाधित करना और कश्मीर में अस्थिरता पैदा करना था। पाकिस्तान ने यह दावा किया कि ये घुसपैठिए "मुजाहिदीन" थे, लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि इसमें पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक शामिल थे।
युद्ध की शुरुआत
मई 1999: घुसपैठ का पता चलना
मई 1999 में, स्थानीय चरवाहों ने कारगिल क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना भारतीय सेना को दी। भारतीय सेना ने टोह ली और पाया कि पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने LoC पार कर कारगिल की ऊंची चोटियों (जैसे टाइगर हिल, तोलोलिंग, और पॉइंट 4875) पर कब्जा कर लिया है। ये चोटियां 16,000-18,000 फीट की ऊंचाई पर थीं, जहां ठंड और ऑक्सीजन की कमी के कारण युद्ध लड़ना बेहद मुश्किल था।
पाकिस्तान ने सर्दियों में खाली छोड़ी गई भारतीय चौकियों का फायदा उठाया, क्योंकि दोनों देश सर्दियों में ऊंची चोटियों से सैनिकों को हटाते थे। इस बार, पाकिस्तान ने मौके का फायदा उठाकर लगभग 5,000 सैनिकों और आतंकवादियों को इन क्षेत्रों में तैनात कर दिया।
भारत की प्रतिक्रिया: ऑपरेशन विजय
भारतीय सेना ने तुरंत **ऑपरेशन विजय** शुरू किया, जिसका उद्देश्य घुसपैठियों को खदेड़ना और कब्जा किए गए क्षेत्रों को वापस लेना था। भारतीय सेना ने लगभग 30,000 सैनिकों को कारगिल में तैनात किया। युद्ध की परिस्थितियां बेहद चुनौतीपूर्ण थीं, क्योंकि:
- ऊंचाई और खड़ी चट्टानों के कारण हमला करना मुश्किल था।
- पाकिस्तानी सैनिकों ने रणनीतिक रूप से ऊंची स्थिति पर कब्जा किया था, जिससे उन्हें भारतीय सैनिकों पर हमला करने का फायदा था।
- ठंड और ऑक्सीजन की कमी ने सैनिकों की मुश्किलें बढ़ाईं।
प्रमुख लड़ाइयाँ
1. तोलोलिंग की लड़ाई (जून 1999): यह पहली बड़ी जीत थी, जब भारतीय सेना ने तोलोलिंग चोटी पर कब्जा किया। इस जीत ने भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाया।
2. टाइगर हिल (3-4 जुलाई 1999): टाइगर हिल कारगिल की सबसे महत्वपूर्ण चोटियों में से एक थी। भारतीय सेना ने भारी गोलीबारी और रात के हमले के बाद इसे वापस लिया।
3. पॉइंट 4875 (बटालिक सेक्टर): इस चोटी पर कब्जा करने में भारी नुकसान हुआ, लेकिन भारतीय सैनिकों ने इसे सफलतापूर्वक वापस लिया।
वायुसेना की भूमिका: ऑपरेशन सफेद सागर
भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत कारगिल में हवाई हमले किए। मिग-21, मिग-27, और मिराज-2000 जैसे विमानों ने पाकिस्तानी ठिकानों पर बमबारी की। यह पहली बार था जब भारतीय वायुसेना ने इतनी ऊंचाई पर युद्ध में हिस्सा लिया। वायुसेना ने सैनिकों को आपूर्ति पहुंचाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध का अंत
युद्ध के दौरान भारत ने संयम बरता और LoC पार नहीं की, ताकि युद्ध पूर्ण-स्तरीय युद्ध में न बदल जाए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका, ने पाकिस्तान पर दबाव डाला कि वह अपने सैनिकों को वापस बुलाए। जुलाई 1999 में, पाकिस्तानी सेना और घुसपैठिए पीछे हटने लगे।
26 जुलाई 1999 को भारत ने आधिकारिक तौर पर ऑपरेशन विजय की सफलता की घोषणा की, क्योंकि सभी कब्जाए गए क्षेत्र वापस ले लिए गए थे। इस दिन को अब कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
परिणाम और प्रभाव
1. भारत की जीत: भारत ने सभी कब्जाए गए क्षेत्रों को वापस ले लिया और अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की।
2. हानि: भारत ने लगभग 527 सैनिक खोए, जबकि पाकिस्तान को 700 से अधिक सैनिकों का नुकसान हुआ।
3. पाकिस्तान की हार: पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा। उसने शुरू में घुसपैठियों को "मुजाहिदीन" बताया, लेकिन बाद में सैन्य भागीदारी स्वीकार करनी पड़ी।
4. कश्मीर विवाद: कारगिल युद्ध ने कश्मीर मुद्दे को फिर से वैश्विक मंच पर ला दिया, लेकिन यह अनसुलझा रहा।
5. सैन्य और रणनीतिक सबक: भारत ने अपनी खुफिया और सैन्य तैयारियों में सुधार किया। लाहौर समझौते के बाद पाकिस्तान की ओर से विश्वासघात ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को और गहरा किया।
महत्व
कारगिल युद्ध भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य और नैतिक जीत थी। भारतीय सैनिकों ने असाधारण वीरता और बलिदान का परिचय दिया। इस युद्ध ने भारत की एकता और दृढ़ता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। यह युद्ध परमाणु युग में लड़ा गया पहला बड़ा युद्ध था, जिसने दोनों देशों को पूर्ण-स्तरीय युद्ध से बचने की सीख दी।
कारगिल युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाया और सैनिकों के बलिदान को सम्मान देने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
0 टिप्पणियाँ