The S-400 Triumf full story | एस-400 ट्रायम्फ (नाटो: SA-21 ग्रोलर)

 एस-400 ट्रायम्फ (नाटो: SA-21 ग्रोलर) एक मोबाइल, लंबी दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल (SAM) प्रणाली है, जिसे रूस के अल्माज़-आंतेई सेंट्रल डिज़ाइन ब्यूरो ने विकसित किया। यह एक उन्नत वायु रक्षा मंच है, जो एस-300 श्रृंखला का उन्नत संस्करण है, जिसमें बेहतर रेंज, गति और बहु-लक्ष्य सगाई क्षमता है। नीचे एस-400 की पूरी कहानी दी गई है, जिसमें इसका विकास, तकनीकी विवरण, तैनाती, वैश्विक प्रभाव और विवाद शामिल हैं, साथ ही इसके "गेम-चेंजर" दावों का आलोचनात्मक विश्लेषण भी किया गया है।



उत्पत्ति और विकास

एस-400 की शुरुआत 1980 के दशक के अंत में हुई, जब सोवियत संघ को स्टील्थ विमानों, क्रूज मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे उभरते हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए एक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की आवश्यकता महसूस हुई। 1993 में विकास शुरू हुआ, लेकिन सोवियत संघ के पतन ने फंडिंग को गंभीर रूप से सीमित कर दिया। डिज़ाइनरों ने एस-300 की 70-80% तकनीक, जैसे मिसाइल भंडारण कंटेनर, लॉन्चर और रडार, का उपयोग किया। परियोजना का नेतृत्व डॉ. अलेक्जेंडर लेमांस्की ने किया, जिसमें फकेल मशीन-बिल्डिंग डिज़ाइन ब्यूरो और नोवोसिबिर्स्क रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे रूसी रक्षा उद्यमों ने योगदान दिया।


1999-2000 में रूस के कपुस्तिन यार रेंज में प्रारंभिक परीक्षण हुए, लेकिन प्रगति धीमी थी। 2003 में, सैन्य अधिकारियों ने नोट किया कि सिस्टम पुराने एस-300P इंटरसेप्टर के साथ परीक्षण किया जा रहा था, जिसे तैनाती के लिए तैयार नहीं माना गया। फरवरी 2004 में परियोजना पूरी हुई, और अप्रैल 2004 में 48N6DM मिसाइल के साथ एक बैलिस्टिक मिसाइल को सफलतापूर्वक नष्ट किया गया। 28 अप्रैल 2007 को एस-400 को आधिकारिक रूप से रूसी सशस्त्र बलों में शामिल किया गया, जो पुराने एस-300 और एस-200 सिस्टम की जगह लेने के लिए था।


तकनीकी विवरण

एस-400 को हवाई जहाज, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल जैसे विभिन्न हवाई खतरों को 400 किमी की दूरी और 30-35 किमी की ऊंचाई तक नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके प्रमुख घटक हैं:


- मिसाइलें: सिस्टम चार प्रकार की मिसाइलों का उपयोग करता है:

  - 40N6E: 400 किमी रेंज, सक्रिय/अर्ध-सक्रिय रडार होमिंग, AWACS और J-STARS जैसे उच्च-मूल्य लक्ष्यों के लिए।

  - 48N6DM/48N6E3: 250 किमी रेंज, अर्ध-सक्रिय रडार होमिंग, विमानों और बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ प्रभावी।

  - 9M96E2: 120 किमी रेंज, सक्रिय रडार होमिंग, फाइटर जेट जैसे तेज़-गति लक्ष्यों के लिए।

  - 9M96E: 40 किमी रेंज, सक्रिय रडार होमिंग, छोटी दूरी के खतरों के लिए।

  - नई 77N6-N/N1 मिसाइलें (2022 में नियोजित) बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा के लिए काइनेटिक हिट-टू-किल क्षमता जोड़ती हैं, जो अमेरिकी पैट्रियट PAC-3 के समान है।


- रडार

  - 91N6E बिग बर्ड: 600 किमी का पता लगाने की रेंज, 300 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करता है।

  - 92N6E ग्रेव स्टोन: 340 किमी रेंज, 20 लक्ष्यों को फायर कंट्रोल के लिए ट्रैक करता है।

  - 96L6E चीज़ बोर्ड: 300 किमी का पता लगाने की रेंज, स्वायत्त तैनाती के लिए उपयोगी।

  - अतिरिक्त रडार जैसे प्रोटिवनिक-GE (400 किमी, एंटी-स्टील्थ UHF) और नेबो-M (400 किमी, VHF) कम-दृश्य लक्ष्यों (जैसे F-35) के खिलाफ पता लगाने को बढ़ाते हैं।


- कमांड और कंट्रोल: 30K6E सिस्टम, जो उराल-532301 वाहन पर आधारित है, आठ बटालियनों को समन्वयित करता है, जिसमें 72 लॉन्चर और 384 मिसाइलें शामिल हैं।


- लॉन्चर: 5P85TE2 (ट्रक-आधारित) और 5P85SE2 (ट्रेलर-आधारित) ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर-लॉन्चर (TEL) चार मिसाइलें ले जाते हैं, हालांकि 40N6 मिसाइलें आकार के कारण प्रति TEL दो तक सीमित हैं।


सिस्टम की गतिशीलता (5 मिनट में तैनात), 36 लक्ष्यों को एक साथ निशाना बनाने की क्षमता, और अन्य रक्षा प्रणालियों (जैसे पैंटसिर, एस-300) के साथ एकीकरण इसे बहुमुखी बनाता है। यह मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए गैस सिस्टम का उपयोग करता है, जिसमें रॉकेट मोटर 30 मीटर पर प्रज्वलित होता है।


संचालन इतिहास और तैनाती

एस-400 को 2007 में मॉस्को के पास प्रथम वायु रक्षा कोर में शामिल किया गया। 2020 के दशक की शुरुआत तक, रूस ने लगभग 16-18 बटालियन (56 सिस्टम) तैनात किए, जिसमें 2020 तक 28 रेजिमेंट (प्रत्येक में 2-3 बटालियन) की योजना थी। प्रमुख तैनाती में शामिल हैं:

- मॉस्को: राजधानी की सुरक्षा।

- कालिनिनग्राद: रूस के बाल्टिक क्षेत्र की रक्षा।

- क्रीमिया: 2014 के कब्जे के बाद नियंत्रण मजबूत करना।

- सीरिया: 2015 में हमायमिम एयर बेस और मसयाफ में रूसी और सीरियाई संपत्तियों की सुरक्षा के लिए तैनात।

- सुदूर पूर्व: उत्तर कोरिया के मिसाइल खतरों का मुकाबला।


एस-400 का युद्ध में उपयोग सीमित रहा है। सीरिया में इसकी तैनाती प्रतीकात्मक थी, बिना किसी शत्रु लक्ष्य के खिलाफ पुष्टि किए गए उपयोग के। हालांकि, यूक्रेन में सिस्टम को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अक्टूबर 2023 और मई 2024 के बीच यूक्रेनी बलों ने ATACMS मिसाइलों, ड्रोनों और संशोधित नेपच्यून मिसाइलों का उपयोग करके कम से कम 12 एस-400 सिस्टम को नष्ट या क्षतिग्रस्त किया। इन नुकसानों ने इसकी कमजोरियों को उजागर किया, खासकर जब यह एक मजबूत एकीकृत वायु रक्षा नेटवर्क (IADS) के बिना काम करता है।


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निर्यात और वैश्विक प्रभाव

एस-400 की विश्वसनीयता ने इसे निर्यात बाजार में लोकप्रिय बनाया, हालांकि अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिका’स एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत इसका विरोध किया। जिन देशों ने इसे खरीदा या रुचि दिखाई, उनमें शामिल हैं:


- चीन: 2014 में छह बटालियनों के लिए अरबों डॉलर का सौदा, 2018 से डिलीवरी शुरू। चीनी विश्लेषकों ने दावा किया कि रूस ने तकनीकी रहस्यों की रक्षा के लिए "सरलीकृत" संस्करण प्रदान किया, जिससे निर्यात मॉडल की प्रभावशीलता पर सवाल उठे।

- भारत: 2018 में पांच रेजिमेंट के लिए 5.43 अरब डॉलर का सौदा। पहला स्क्वाड्रन 2021 में पंजाब में तैनात किया गया, जो पाकिस्तान और चीन के खतरों को कवर करता है। मई 2025 तक, चार स्क्वाड्रन चालू थे, पांचवां 2026 तक विलंबित। "सुदर्शन चक्र" नामित एस-400 ने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट किया।

- तुर्की: 2017 में 2.5 अरब डॉलर का सौदा, 2019 में डिलीवरी। इससे नाटो के साथ तनाव बढ़ा, क्योंकि एस-400 का नाटो सिस्टम के साथ एकीकरण सुरक्षा चिंताएं पैदा करता है, जिसके कारण तुर्की को F-35 कार्यक्रम से हटा दिया गया।

- अन्य: बेलारूस, कतर, सऊदी अरब और ईरान ने रुचि दिखाई, लेकिन सौदे पक्के नहीं हुए।


एस-400 का निर्यात भू-राजनीतिक प्रभाव डालता है। भारत के लिए, यह चीन के J-20 स्टील्थ फाइटर और पाकिस्तान की वायु सेनाओं के खिलाफ निवारक है। तुर्की के लिए, यह रणनीतिक स्वायत्तता का संकेत है। हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों ने सौदों को जटिल किया, खासकर भारत के लिए, हालांकि चीन के खिलाफ रणनीतिक संरेखण के कारण छूट की बात उठी।


ताकत और क्षमताएं

एस-400 की प्रशंसा निम्नलिखित के लिए की जाती है:

- रेंज और बहुमुखी प्रतिभा: 400 किमी रेंज (40N6E के साथ) और विविध लक्ष्यों को नष्ट करने की क्षमता इसे पैट्रियट PAC-3 जैसे पश्चिमी सिस्टम से बेहतर बनाती है।

- स्तरित रक्षा: कई मिसाइल प्रकार एक बहु-स्तरीय ढाल बनाते हैं, जो विमानों, मिसाइलों और ड्रोनों के खिलाफ प्रभावी है।

- उन्नत रडार: 600 किमी की पता लगाने की रेंज और एंटी-स्टील्थ क्षमता (प्रोटिवनिक-GE और नेबो-M के माध्यम से) F-35 जैसे कम-दृश्य प्लेटफार्मों को चुनौती देती है।

- लागत: प्रति बटालियन 200 मिलियन डॉलर की कीमत इसे THAAD जैसे पश्चिमी सिस्टम की तुलना में सस्ता बनाती है।

- गतिशीलता: 5 मिनट में पुन: तैनाती, जिससे उत्तरजीविता बढ़ती है।


पैंटसिर और मोर्फे (2023 तक विकास में एक छोटी दूरी की रक्षा प्रणाली) जैसे सिस्टमों के साथ एकीकरण इसकी भूमिका को बढ़ाता है।


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आलोचनाएं और कमजोरियां

इसकी ख्याति के बावजूद, एस-400 की आलोचना हुई है:

- अतिशयोक्तिपूर्ण दावे: कुछ विश्लेषकों का तर्क है कि रूस निर्यात बढ़ाने के लिए इसकी क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। इसके एंटी-स्टील्थ दावे युद्ध में अप्रमाणित हैं, और 40N6 मिसाइल की 400 किमी रेंज रडार की सीमाओं से प्रभावित हो सकती है।

- युद्ध प्रदर्शन: यूक्रेन में नुकसान ने सटीक हमलों, ड्रोनों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के प्रति इसकी कमजोरियों को उजागर किया, खासकर जब यह मजबूत IADS के बिना काम करता है। X पर पोस्ट में गुणवत्ता नियंत्रण समस्याओं और ATACMS का मुकाबला करने में विफलता का उल्लेख है।

- निर्यात सीमाएं: चीन को दिए गए संस्करणों में कम क्षमताएं हो सकती हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।

- हाइपरसोनिक खतरे: यह हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहनों के खिलाफ सक्षम नहीं दिखा, जो एक उभरता खतरा है।

- प्रतिरूपण: डिकॉय और संतृप्त हमले सिस्टम को अभिभूत कर सकते हैं, जैसा कि यूक्रेन में देखा गया।


आलोचकों का कहना है कि एस-400 की प्रभावशीलता ऑपरेटर प्रशिक्षण और अन्य रक्षा प्रणालियों के साथ एकीकरण पर निर्भर करती है, जो तुर्की जैसे तृतीय-पक्ष खरीदारों में कमी हो सकती है।


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पश्चिमी सिस्टमों के साथ तुलना

एस-400 की तुलना अक्सर अमेरिकी पैट्रियट PAC-3 और THAAD से की जाती है:

- पैट्रियट PAC-3: हिट-टू-किल तकनीक प्रदान करता है, लेकिन इसकी रेंज (100-180 किमी) कम है और यह विविध लक्ष्यों के खिलाफ कम बहुमुखी है। एस-400 की लंबी रेंज और मल्टी-मिसाइल दृष्टिकोण इसे क्षेत्र रक्षा में बढ़त देता है।

- THAAD: बाह्य वायुमंडलीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा में विशेषज्ञता, 200 किमी रेंज के साथ। यह एस-400 की व्यापक क्षमताओं से अधिक केंद्रित लेकिन महंगा है।

- एजिस BMD: अमेरिकी नौसेना सिस्टम जैसे एजिस की तुलनात्मक लंबी दूरी की क्षमता है, लेकिन यह प्लेटफॉर्म-विशिष्ट है, जबकि एस-400 की गतिशीलता बेहतर है।


एस-400 की लागत-प्रभावशीलता और लचीलापन इसे आकर्षक बनाता है, लेकिन पश्चिमी सिस्टम नाटो के IADS के साथ बेहतर एकीकरण और सिद्ध युद्ध प्रदर्शन से लाभान्वित होते हैं।


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भू-राजनीतिक विवाद

एस-400 भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र रहा है:

- अमेरिका-भारत तनाव: अमेरिका ने भारत के 5 अरब डॉलर के सौदे पर CAATSA प्रतिबंधों की धमकी दी, क्योंकि एस-400 अमेरिकी विमानों (जैसे अपाचे, C-17) पर डेटा एकत्र कर सकता है। भारत ने रणनीतिक जरूरतों को प्राथमिकता दी, और चीन के खिलाफ संरेखण के कारण छूट की बात उठी।

- तुर्की-नाटो विवाद: तुर्की की खरीद के कारण इसे F-35 कार्यक्रम से हटा दिया गया, क्योंकि नाटो को डर था कि एस-400 के रडार नाटो विमानों पर डेटा एकत्र कर सकते हैं।

-रूस का प्रभाव: निर्यात सौदे यूक्रेन आक्रमण के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए रूस के प्रभाव को मजबूत करते हैं। हालांकि, चीन को "सरलीकृत" सिस्टम देना इन साझेदारियों में विश्वास की सीमाओं को दर्शाता है।


भविष्य की संभावनाएं

एस-400 रूस की वायु रक्षा का आधार बना हुआ है, जिसमें नई 77N6 मिसाइलों को एकीकृत करने और तैनाती बढ़ाने की योजना है। हालांकि, इसका उत्तराधिकारी, एस-500 प्रोमेथियस, 2021 में सेवा में आया, जो बेहतर एंटी-बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक क्षमता (600 किमी रेंज, 180-200 किमी ऊंचाई) प्रदान करता है। एस-500 उच्च-खतरे वाले वातावरण में एस-400 को पूरक या प्रतिस्थापित करेगा।


निर्यात ग्राहकों के लिए, एस-400 की लागत और क्षमता के कारण आकर्षण बना हुआ है, लेकिन प्रतिबंध, तकनीकी सीमाएं और युद्ध में नुकसान उत्साह को कम कर सकते हैं। भारत का प्रोजेक्ट कुशा, एक स्वदेशी 150-350 किमी रेंज का एस-400 समकक्ष, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है, जो रूसी सिस्टम पर निर्भरता को कम कर सकता है।


आलोचनात्मक दृष्टिकोण

एस-400 को "विश्व का सर्वश्रेष्ठ वायु रक्षा सिस्टम" बताने की कहानी आंशिक रूप से रूसी विपणन और मीडिया हेरफेर का परिणाम है। हालांकि इसके तकनीकी विनिर्देश प्रभावशाली हैं, यूक्रेन में वास्तविक प्रदर्शन से पता चलता है कि यह अजेय नहीं है। यह नियंत्रित वातावरण और मजबूत IADS समर्थन में उत्कृष्ट है, लेकिन अलग-थलग तैनाती या खराब ऑपरेटर प्रशिक्षण कमजोरियों को उजागर करता है। एंटी-स्टील्थ और हाइपरसोनिक क्षमता के दावे अप्रमाणित हैं, और निर्यात संस्करणों को जानबूझकर कमजोर किया जा सकता है, जिससे मूल्य-के-लिए-पैसे पर सवाल उठते हैं।


हालांकि, इसका रणनीतिक प्रभाव निर्विवाद है। भारत जैसे देशों के लिए, यह क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ विश्वसनीय निवारक प्रदान करता है, जैसे पाकिस्तान ने F-16 को इसकी रेंज से बचाने के लिए स्थानांतरित किया। पश्चिमी सिस्टम की तुलना में इसकी सामर्थ्य मांग को बनाए रखती है, भले ही भू-राजनीतिक जोखिम हों। सच्चाई शायद प्रचार और संदेह के बीच है: एस-400 आज के सबसे सक्षम सिस्टमों में से एक है, लेकिन रूस द्वारा पेश की गई अजेय छवि से कम है।


निष्कर्ष

एस-400 ट्रायम्फ एक शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली है, जिसने 2007 में अपनी शुरुआत के बाद से वैश्विक वायु रक्षा गतिशीलता को नया रूप दिया है। इसका विकास सोवियत-पश्चात चुनौतियों को पार करके एक बहुमुखी, लंबी दूरी का मंच प्रदान करता है, जो SAM सिस्टम के लिए एक मानक है। हालांकि इसका युद्ध रिकॉर्ड मिश्रित है और कमजोरियां सामने आई हैं, रूस और भारत, चीन, तुर्की जैसे निर्यात ग्राहकों के लिए इसका रणनीतिक मूल्य महत्वपूर्ण है। सिस्टम का भविष्य रूस की तकनीकी अंतर को दूर करने, पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला करने और एस-500 जैसे उभरते सिस्टमों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता पर निर्भर करता है। एस-400 की कहानी नवाचार, भू-राजनीतिक चालबाजी और आधुनिक युद्ध की जटिल वास्तविकताओं की है।


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